एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह में एनसीसी विभाग की ओर से आयोजित समारोह में राष्ट्रीय बालिका दिवस का कार्यक्रम बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया गया।
आज के इस राष्ट्रीय बालिका दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. शमा खानम, प्राचार्य, ओजस्विनी पार-एक्सिलेंस महाविद्यालय, दमोह उपस्थित रहीं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अर्चना पाठक अधिष्ठाता, अकादमिक शाखा तथा सारस्वत अतिथि के रूप में डॉ. पर्ली जे़कब निदेशक, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शमा खानम ने अपने उद्बोधन में बताया कि सारे भेदभाव जो बालिकाओं के साथ होते हैं वह तो होने नहीं चाहिए पर समाज में व्याप्त है।
बालिकाओं के साथ हो रहे इस भेदभाव को आप अपने सशक्त जीवन के माध्यम से दूर कर सकते। उन्होंने बताया कि एकलव्य विश्वविद्यालय की माननीय कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया जी खुद एक नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति हैं। साथ ही इस विश्वविद्यालय की प्रति कुलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया एवं श्रीमती रति मलैया भी शक्ति का स्वरूप नारी ही है। इस प्रकार हमारा विश्वविद्यालय ही शक्ति के स्वरूप का परिचायक है।
और आगे मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि माननीय कुलाधिपति महोदया जी ने जीवन में जो कार्य बालिका शिक्षा एवं बालिका संरक्षण के लिए किया है, महिला सशक्तिकरण के लिए किया है उसी का प्रतिफल भव्य एवं दिव्य एकलव्य विश्वविद्यालय है । बालिकाओं एवं महिलाओं की शिक्षा के उन्नयन के लिए स्थापित ओजस्विनी ग्रुप तथा एकलव्य विश्वविद्यालय का कार्य माननीय कुलाधिपति महोदया एवं माननीय प्रति कुलाधिपति महोदया गणों के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में अपने नित नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है इससे स्पष्ट होता है कि सक्षम बालिका पढ़ लिख कर, सशक्त बनकर न सिर्फ अपने साथ हो रहे भेदभावों को मिटा सकती है, उसे दूर कर सकती है बल्कि समाज की अगली पीढ़ी को परिष्कृत कर राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसका साक्षात् प्रमाण हमारी माननीय कुलाधिपति महोदया हैं। इस तरह माननीय कुलाधिपति महोदया जी के जीवन के अनेक प्रसंगों के माध्यम से मुख्य अतिथि महोदया ने जो स्वयं ओजस्विनी पार-एक्सीलेंस महाविद्यालय का नेतृत्व करती है, बालिकाओं को *सशक्त बालिका-सशक्त राष्ट्र* का महत्वपूर्ण संदेश प्रदान किया।
कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं डॉ. पर्ली जे़कब जो निदेशक, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, एकलव्य विश्वविद्यालय का नेतृत्व करती है एवं साथ ही स्कूल आफ मैनेजमेंट की अधिष्ठाता भी है। उन्होंने बालिकाओं के साथ समाज में हो रहे भेदभाव को बहुत ही मार्मिक रूप से समझाया। उन्होंने बताया कि जब बालिकाएं गर्भ में प्रवेश करती है तभी से उनके साथ भेदभाव आरंभ हो जाता है और वहां से लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में चाहे विद्यार्जन के दौरान हो अथवा कामकाज के दौरान हो सभी जगह इन भेदभाव को महसूस किया जा सकता है।
देश में आज भी बालिकाओं की एक बहुत बड़ी संख्या ऐसी है जिनका जीवन गर्भ में ही समाप्त कर दिया जाता है और अगर जन्म ले भी लिया तो पहला जन्मदिन नहीं मना पाती। समाज में व्याप्त इन भेद-भावों को मिटाना होगा इसके लिए बालिकाओं का न सिर्फ शिक्षित होना और सशक्त अनिवार्य है बल्कि एनसीसी कैडेट्स के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करना भी अनिवार्य है जहां मानवीय मूल्यों पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाता है। एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षण के दौरान बताया जाता है कि आपदा चाहे जैसी हो, आपदा का स्वरूप चाहे कोई भी हो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की रक्षा उनका उत्तरदायित्व है।
आपदा कोरोना वायरस के रूप में हो या फिर भूकंप, बाढ़, सुनामी अथवा भूस्खलन आदि किसी भी स्वरूप में क्यों ना हो प्रशिक्षित एनसीसी कैडेट्स पीड़ितों के जान की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगाकर उनके जान की रक्षा करते हैं।
ऐसा मानव मूल्य आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में नहीं मिलता, यह एनसीसी कैडेट्स को ही प्रशिक्षण के दौरान सिखाया जाता है। इसलिए मुझे लगता है कि बालिकाओं के साथ हो रहे अत्याचार को जड़ से समाप्त करने के लिए एनसीसी प्रशिक्षण बहुत ही आवश्यक समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए आवश्यक है।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि पश्चिमी सभ्यता में आज भी महिला नेतृत्व समाज को स्वीकार्य नहीं है परिणामस्वरूप अमेरिका जैसा देश आज भी महिला नेतृत्वकर्ता नहीं चुन पाया है जबकि हमारे इतिहास और वर्तमान में महिलाओं की स्वीकृति रही है तथा उनका नेतृत्व और शासन समाज को सदैव स्वीकार रहा है।
परंतु हां, समाज में आज भी कुछ वर्ग विशेष में बालिकाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है उसे दूर करने की महती आवश्यकता है।
कार्यक्रम में माननीय कुलपति महोदय की गरिमामय उपस्थिति थी। अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. शैलेंद्र जैन की उपस्थिति के साथ एनसीसी के सभी कैडेट्स उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन एनसीसी विभाग की ओर से केयर टेकर अधिकारी (सीटीओ) डॉ. संतोष पुरी द्वारा किया गया तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. शैलेंद्र जैन द्वारा विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों एवं कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने वाले सभी विभागों एवं कर्मचारियों के आभार प्रदर्शन के पश्चात् समाप्त हुआ।
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